Vijaya Ekadashi (विजया एकादशी) Date:- 2025-02-24

विजया एकादशी व्रत 24वाँ फरवरी 2025 Monday / सोमवार विजया एकादशी पारण विजया एकादशी सोमवार, फरवरी 24, 2025 को 25वाँ फरवरी को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 06:50 ए एम से 09:08 ए एम पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 12:47 पी एम एकादशी तिथि प्रारम्भ - फरवरी 23, 2025 को 01:55 पी एम बजे एकादशी तिथि समाप्त - फरवरी 24, 2025 को 01:44 पी एम बजेविजया एकादशी Ekadashi के व्रत को समाप्त करने को Paran कहते हैं। Ekadashi Vrat के अगले दिन sunrise के बाद Paran किया जाता है। Ekadashi Vrat ka Paran Dwadashi Tithi समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यदि Dwadashi Tithi sunrise से पहले समाप्त हो गई हो तो Ekadashi Vrat ka Paran sunrise के बाद ही होता है। Dwadashi Tithi के भीतर Paran न करना Paap करने के समान होता है। Ekadashi Vrat ka Paran Hari Vasar के दौरान भी नहीं करना चाहिए। जो श्रद्धालु Vrat कर रहे हैं, उन्हें Vrat todne से पहले Hari Vasar समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। Hari Vasar Dwadashi Tithi की पहली एक चौथाई अवधि है। Vrat todne ke liye सबसे उपयुक्त समय morning होता है। व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को afternoon के दौरान Vrat todne से बचना चाहिए। कुछ कारणों की वजह से अगर कोई morning Paran करने में सक्षम नहीं है तो उसे afternoon ke baad Paran करना चाहिए। कभी-कभी Ekadashi Vrat लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है। जब Ekadashi Vrat दो दिन होता है तब स्मार्त-परिवारजनों को पहले दिन Ekadashi Vrat करना चाहिए। दूसरे दिन वाली Ekadashi को Doosri Ekadashi कहते हैं। Sanyasis, widows और moksha ki iccha rakhne wale श्रद्धालुओं को Doosri Ekadashi के दिन Vrat करना चाहिए। जब-जब Ekadashi Vrat दो दिन होता है तब-तब Doosri Ekadashi और Vaishnav Ekadashi एक ही दिन होती हैं। Bhagwan Vishnu ka pyar aur sneha के इच्छुक परम भक्तों को दोनों दिन Ekadashi Vrat करने की सलाह दी जाती है।

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Maa Tara Dhayan mantra (माँ तारा ध्यान मंत्र )

माँ तारा ध्यान मंत्र देवी तारा की ध्यान और साधना से जुड़ा एक शक्तिशाली मंत्र है, जो मानसिक शांति, दिव्य आशीर्वाद और संकटों से मुक्ति के लिए जाप किया जाता है। इस मंत्र के द्वारा भक्त देवी तारा की कृपा प्राप्त करते हुए आत्मिक शांति, सुरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होते हैं।
Dhayan-Mantra

Shri Vishnu Chalisa (श्री विष्णु चालीसा)

विष्णु चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान विष्णु पर आधारित है। हिन्दू मान्यतानुसार भगवान विष्णु त्रिदेवों में से एक हैं। Vishnu Chalisa का पाठ विशेष रूप से Vaikuntha Ekadashi और अन्य पूजा अवसरों पर किया जाता है। यह divine protection और blessings प्राप्त करने का एक अत्यंत शक्तिशाली साधन है। Vishnu mantra जीवन में peace और spiritual growth को बढ़ावा देता है।
Chalisa

Sankat Mochan Hanuman Ashtakam (संकट मोचन हनुमान अष्टकम्)

संकट मोचन हनुमान अष्टक, जिसे Hanuman Ashtak भी कहा जाता है, एक Devotional Hindi Bhajan है जो Lord Hanuman को समर्पित है। Sankat Mochan Hanuman Ashtakam ("Sankat Mochan Naam Tiharo") की रचना Mahakavi Tulsidas ने की थी, जो Hanuman Ji के महान Devotee थे। Ashtak या Ashtakam का अर्थ होता है Eight, और यह Prayer Lord Hanuman की Stuti (Praise) में Eight Verses में रची गई है, और इसके अंत में एक Doha आता है। अधिकांश Hanuman Ji Temples में, इस Sankat Mochan Hanuman Ashtak का Path (Chanting) Hanuman Chalisa के बाद किया जाता है। यह Mantra न केवल इसे Recite करने वाले व्यक्ति को Benefits प्रदान करता है, बल्कि उसके Family Members के लिए भी Auspicious होता है। यह Mantra Mental Peace प्रदान करता है और Family Harmony लाने में Helpful होता है। इस Mantra का Regular Chanting करने से Health Improvement होता है, चाहे वह Adults का हो या Kids का। कई मामलों में, यह Mantra Court Cases में Positive Results लाने में भी Helpful सिद्ध हुआ है। Sankat Mochan Hanuman Ashtak का Recitation व्यक्ति और उसके Loved Ones के Overall Well-being के लिए किया जाता है। यह सभी Obstacles को Remove करता है और किसी भी Field में Success प्राप्त करने में Supportive होता है।
Ashtakam

Shri Shardha Chalisa (श्री शारधा चालीसा)

श्री शारदा चालीसा देवी माँ शारदा को समर्पित एक पवित्र प्रार्थना है। इसका पाठ मानसिक शांति, आध्यात्मिक प्रगति, और संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है। Saraswati, जिन्हें Goddess of Knowledge कहा जाता है, का यह स्तोत्र भक्तों को बुद्धि और समृद्धि प्रदान करता है।
Chalisa

Tantroktam Devi Suktam (तन्त्रोक्तम् देवीसूक्तम्)

तन्त्रोक्तम् देवीसूक्तम् एक पवित्र स्तोत्र (sacred hymn) है, जो देवी दुर्गा (Goddess Durga) की महिमा का वर्णन करता है। इसका पाठ (recitation) करने से व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) और बुरी नजर (evil eye) से सुरक्षा मिलती है। यह स्तोत्र साधकों (spiritual seekers) के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जो आध्यात्मिक शक्ति (spiritual power) और आत्मबल (inner strength) प्राप्त करना चाहते हैं। इस स्तोत्र में देवी के शक्तिशाली (powerful) और रक्षात्मक (protective) रूप का वर्णन है, जो भक्तों को भय (fear) और बाधाओं (obstacles) से मुक्ति प्रदान करता है। तन्त्रोक्तम् देवीसूक्तम् का पाठ जीवन में शांति (peace) और समृद्धि (prosperity) लाने में सहायक है। यह स्तोत्र देवी के क्रोधमयी (fierce) और दयालु (compassionate) रूप की आराधना करता है। देवीसूक्तम् का नियमित पाठ (regular recitation) करने से व्यक्ति को सफलता (success) और सुख (happiness) प्राप्त होता है। यह स्तोत्र देवी के आशीर्वाद (blessings of Goddess) को आकर्षित करता है और जीवन में शक्ति (strength) और स्थिरता (stability) प्रदान करता है। भक्त इसे तंत्र साधना (Tantric practices) के माध्यम से जीवन के सभी कष्टों (hardships) से मुक्ति पाने के लिए करते हैं।
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Bhagwan Shri Bholenath Arti (भगवान् श्री भोलेनाथ जी की आरती )

भगवान भोलेनाथ की आरती भगवान शिव की महिमा का गुणगान करती है। इसमें भोलेनाथ के सरल स्वभाव, दयालुता और उनकी शक्तियों का वर्णन किया गया है। Lord Shiva, जिन्हें Mahadev, Shankar, और Bholenath के नाम से भी जाना जाता है, के भक्त उनकी आरती गाकर दुखों का नाश, शांति, और मोक्ष की कामना करते हैं।
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Bhagwan Kailashwashi Arti (भगवान् कैलासवासी आरती )

शीश गंग अर्धन्ग पार्वती भगवान कैलाशवासी की सबसे प्रसिद्ध आरतियों में से एक है। इसमें Lord Kailashnath और उनकी अर्धांगिनी Goddess Parvati के प्रति श्रद्धा और भक्ति का वर्णन है। यह आरती Shiva-Parvati के मिलन और उनके दिव्य रूप की स्तुति करती है।
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उद्धवगीता के पंचमोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की वार्ता में भक्ति के महत्व और भगवान की महिमा पर चर्चा होती है।
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