Margashirsha Purnima (मार्गशीर्ष पूर्णिमा) Date:- 2024-12-15

Margashirsha, Shukla Purnima Begins - 04:58 PM, Dec 14 Ends - 02:31 PM, Dec 15मार्गशीर्ष पूर्णिमा कब और कैसे मनाई जाती है? मार्गशीर्ष पूर्णिमा मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस दिन विशेष पूजा और गंगा स्नान का महत्व होता है। इसे दत्तात्रेय जयंती के नाम से भी जाना जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा का पौराणिक महत्व क्या है? मार्गशीर्ष पूर्णिमा का पौराणिक महत्व भगवान दत्तात्रेय के जन्मदिवस से जुड़ा है। यह माना जाता है कि इस दिन भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। इस दिन गंगा स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा की तैयारी कैसे होती है? मार्गशीर्ष पूर्णिमा की तैयारी में लोग अपने घरों और मंदिरों को सजाते हैं और विशेष पूजा सामग्री का प्रबंध करते हैं। इस दिन लोग गंगा स्नान करने के लिए पवित्र नदियों और तीर्थ स्थलों पर जाते हैं। पूजा की थाली में तिल, जल, पुष्प, धूप, दीपक, और भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति या चित्र शामिल होते हैं। मार्गशीर्ष पूर्णिमा का उत्सव कैसे मनाया जाता है? मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और भगवान दत्तात्रेय की पूजा करते हैं। इस दौरान विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है और दीपदान किया जाता है। शाम को दीप जलाए जाते हैं और गंगा नदी में प्रवाहित किए जाते हैं। इस दिन विशेष भजन-कीर्तन और सत्संग का आयोजन किया जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा का समग्र महत्व क्या है? मार्गशीर्ष पूर्णिमा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है।

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Satyanarayan Puja Vidhi (सत्यनारायण पूजा विधि)

सत्यनारायण पूजा विधि भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का तरीका बताने वाला एक महत्वपूर्ण पाठ है। यह विधि भक्तों को भगवान सत्यनारायण की कृपा प्राप्त करने के लिए सही तरीके से पूजा करने में मदद करती है।
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Shri Vindhyeshwari Ji Arti (श्री विन्ध्येश्वरी जी की आरती)

श्री विंध्येश्वरी जी की आरती माँ Vindhyeshwari के divine form और spiritual powers की स्तुति है। इस आरती में देवी Vindhyavasini, Durga, और Mahashakti की glory, grace, और भक्तों पर होने वाले blessings का वर्णन किया गया है। यह आरती भक्तों को spiritual growth, happiness, prosperity, और peace की प्राप्ति की प्रेरणा देती है। माँ Vindhyeshwari, जिन्हें Jagadamba, Shakti Swaroopini, और Durga Mata के नाम से भी जाना जाता है, उनकी पूजा भक्तों को divine protection, mental peace, और positive energy प्रदान करती है। भक्तगण माँ Vindhyavasini की इस आरती के माध्यम से देवी की कृपा प्राप्त करते हैं, जो inner strength, faith, और devotional bliss प्रदान करती है।
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Bhagwan Shri Shankar Arti (भगवान् श्री शंकर की आरती )

जयति जयति जग-निवास भगवान शंकर की सबसे प्रसिद्ध आरतियों में से एक है। इसमें Shankar या Shiva, जिन्हें Lord of the Universe कहा जाता है, के प्रति असीम भक्ति और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है।
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Laxmi Stuti (लक्ष्मी स्तुति)

लक्ष्मी स्तुति देवी लक्ष्मी (Lakshmi), जिन्हें "goddess of wealth" और "prosperity" कहा जाता है, की महिमा का गान करती है। यह स्तुति उन्हें "symbol of abundance" और "divine fortune" के रूप में वर्णित करती है। माता लक्ष्मी अपने भक्तों को "spiritual growth," "success," और "financial stability" का आशीर्वाद देती हैं। उनकी कृपा से जीवन में "peace," "harmony," और "divine blessings" की प्राप्ति होती है।
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Shri Ganpati ji Arti (श्री गणपति जी आरती)

श्री गणपति जी की आरती भगवान गणेश की वंदना और स्मरण का पवित्र गीत है। भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता, सिद्धिदाता, और बुद्धि के देवता कहा जाता है, को इस आरती में उनकी शक्ति, कृपा, और समृद्धि का गुणगान करते हुए पूजा जाता है। इस आरती से भक्तों को सभी बाधाओं से मुक्ति, सुख, शांति, और सिद्धि प्राप्त होती है।
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Shri Durga Chalisa (श्री दुर्गा चालीसा)

दुर्गा चालीसा एक भक्ति गीत है जो माँ दुर्गा पर आधारित है। दुर्गा माता को शक्ति, महिषासुरमर्दिनी, और सर्वमंगल के रूप में जाना जाता है। Durga mantra for strength जैसे "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे" का जाप दुर्गा चालीसा पाठ के साथ करना भक्तों को शक्ति और साहस प्रदान करता है। Durga Chalisa benefits में मानसिक शांति, सुरक्षा और इच्छाओं की पूर्ति शामिल हैं।
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Shri Kali Chalisa (श्री काली चालीसा)

काली चालीसा माँ काली की स्तुति करती है। माँ काली को Chandi, Bhadrakali, और Mahishasuramardini भी कहा जाता है। इस चालीसा का पाठ spiritual transformation और life challenges को दूर करने के लिए किया जाता है।
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Arti Ki Vidhi (आरती की विधि)

देवी देवता की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। पूजा के बाद आरती जरूर करना चाहिए। बिना आरती किए पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। ग्रंथों और पुराणों में आरती से जुड़े कई नियम बताए गए हैं कि किस दिशा में दीपक रखें और कैसे करें आरती। "आरती को 'आरात्रिक' अथवा 'नीराजन' के नाम से भी पुकारा गया है। घर और मंदिर में आरती करने की विधि अलग अलग होती है। शंख-ध्वनि और घंटे-घड़ियाल आरती के प्रधान अंग हैं। प्राचीन काल में प्रभु की उपासना कई विधियों द्वारा की जाती रही है। जैसे संध्या वंदन, प्रात: वंदन, प्रार्थना, हवन, ध्यान, भजन, कीर्तन आदि। आरती पूजा के अंत में की जाती है।
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