Kartik Amavasya (कार्तिक अमावस्या) Date:- 2024-11-01

Kartika, Krishna Amavasya Begins - 03:52 PM, Oct 31 Ends - 06:16 PM, Nov 01कार्तिक अमावस्या कब और कैसे मनाई जाती है? कार्तिक अमावस्या कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इसे दिवाली के बाद के दिन मनाया जाता है और इस दिन पितरों की पूजा और तर्पण का विशेष महत्व होता है। कार्तिक अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है? कार्तिक अमावस्या का पौराणिक महत्व पितरों की पूजा और तर्पण से जुड़ा है। इस दिन पितरों को श्रद्धांजलि देने से उन्हें शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। यह माना जाता है कि इस दिन पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने से व्यक्ति के जीवन में सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। कार्तिक अमावस्या की तैयारी कैसे होती है? कार्तिक अमावस्या की तैयारी में लोग अपने घरों को साफ-सुथरा रखते हैं और विशेष पूजा सामग्री का प्रबंध करते हैं। पूजा की थाली में तिल, जल, पुष्प, धूप, दीपक, और पितरों की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री शामिल होती है। इस दिन लोग ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पितरों का तर्पण करते हैं। कार्तिक अमावस्या का उत्सव कैसे मनाया जाता है? कार्तिक अमावस्या के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और पितरों का तर्पण करते हैं। इस दौरान विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है और दीपदान किया जाता है। शाम को दीप जलाए जाते हैं और पितरों को भोग लगाया जाता है। इस दिन विशेष भजन-कीर्तन और सत्संग का आयोजन किया जाता है। कार्तिक अमावस्या का समग्र महत्व क्या है? कार्तिक अमावस्या केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है।

Recommendations

Shiva Chalisa

भगवान शिव की कृपा और शक्ति पाने के लिए शिव चालीसा एक प्रसिद्ध भक्ति गीत है। इसमें 40 छंद हैं, जो Maha Shivratri और Shiv Puja के दौरान विशेष रूप से पाठ किए जाते हैं। Shiv Chalisa in Hindi का नियमित जाप भक्तों को आध्यात्मिक शांति और आशीर्वाद प्रदान करता है। यह Shiva Mantra for Positivity के साथ जीवन में सकारात्मक बदलाव और शक्ति का अनुभव कराता है। Shiv Ji Aarti और Shiv Ji Ki Puja के साथ इसका पाठ जीवन के सभी कष्टों को हरने में सहायक होता है।
Chalisa

Shri Janaki Ji Stuti (श्री जानकी स्तुति )

श्रीस्कन्दमहापुराण में सेतुमाहात्म्य के अन्तर्गत् भगवती जानकी की स्तुति का प्रकरण प्राप्त होता है । इस स्तुति का पाठ करने से पापों का नाश, दरिद्रता का संहार तथा साधक को अभीष्ट वस्तु की प्राप्ति होती है ।
Stuti

Shri Brahma Chalisa (श्री ब्रह्मा चालीसा)

ब्रह्मा चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान ब्रह्मा पर आधारित है। भगवान ब्रह्मा को ब्रह्माण्ड के निर्माता के रूप में जाना जाता है। Brahma Chalisa का पाठ विशेष रूप से उन भक्तों द्वारा किया जाता है जो creation और cosmic knowledge प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं। यह प्रार्थना divine wisdom और creativity को जीवन में स्थापित करने में मदद करती है।
Chalisa

Durga Saptashati Siddha Samput Mantra (दुर्गा सप्तशती सिद्ध सम्पुट मंत्र)

Shri Markandeya Purana अंतर्गत Devi Mahatmya में Shloka, Ardha Shloka, और Uvacha आदि मिलाकर 700 Mantras हैं। यह माहात्म्य Durga Saptashati के नाम से प्रसिद्ध है। Saptashati Artha (Wealth), Dharma (Righteousness), Kama (Desires), और Moksha (Liberation) – इन चारों Purusharthas को प्रदान करने वाली है। जो व्यक्ति जिस भावना और जिस desire से Shraddha एवं rituals के साथ Saptashati Path करता है, उसे उसी भावना और wish fulfillment के अनुसार निश्चित रूप से success प्राप्त होती है। इस बात का अनुभव countless devotees को प्रत्यक्ष हो चुका है। यहाँ हम कुछ ऐसे चुने हुए Sacred Mantras का उल्लेख करते हैं, जिनका Samput देकर विधिवत् recitation करने से विभिन्न spiritual goals की व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से Siddhi होती है। इनमें अधिकांश Saptashati Mantras हैं और कुछ अन्य Vedic Mantras भी सम्मिलित हैं। The Durga Saptashati, also known as the Devi Mahatmyam, is a sacred Hindu text that glorifies Goddess Durga and recounts her various forms and manifestations. The Siddha Mantras (perfected mantras) associated with the Durga Saptashati are believed to have profound benefits when chanted with devotion and understanding.
MahaMantra

Shri Saraswati Kavacham (श्री सरस्वती कवचं)

Shri Saraswati Kavacham देवी सरस्वती की महिमा और शक्ति का वर्णन करता है, जो "Goddess of Wisdom" और "Divine Knowledge" की देवी मानी जाती हैं। यह कवच विशेष रूप से "Protection from Ignorance" और "Goddess of Arts" की शक्तियों का आह्वान करता है, जो शारीरिक और मानसिक बल प्रदान करती हैं। यह कवच "Saraswati Devotional Hymn" और "Spiritual Knowledge Prayer" के रूप में प्रसिद्ध है। इसके पाठ से जीवन में ज्ञान, रचनात्मकता और मानसिक शांति प्राप्त होती है। Shri Saraswati Kavacham को "Divine Protection Chant" और "Wisdom Mantra" के रूप में पढ़ने से व्यक्ति को "Inner Peace" और "Success in Learning" मिलता है।
Kavacha

Arti Ki Vidhi (आरती की विधि)

देवी देवता की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। पूजा के बाद आरती जरूर करना चाहिए। बिना आरती किए पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। ग्रंथों और पुराणों में आरती से जुड़े कई नियम बताए गए हैं कि किस दिशा में दीपक रखें और कैसे करें आरती। "आरती को 'आरात्रिक' अथवा 'नीराजन' के नाम से भी पुकारा गया है। घर और मंदिर में आरती करने की विधि अलग अलग होती है। शंख-ध्वनि और घंटे-घड़ियाल आरती के प्रधान अंग हैं। प्राचीन काल में प्रभु की उपासना कई विधियों द्वारा की जाती रही है। जैसे संध्या वंदन, प्रात: वंदन, प्रार्थना, हवन, ध्यान, भजन, कीर्तन आदि। आरती पूजा के अंत में की जाती है।
Puja-Vidhi

Uchchishta Ganesha Kavacham (उच्छिष्ट गणेश कवचम्)

भगवान गणेश के अनेक रूप हैं, और उन्हीं में से एक उनके सोलह अत्यधिक पूजनीय रूपों में से एक है उच्छिष्ठ गणेश, जिसे उच्छिष्ठ गणपति के नाम से भी जाना जाता है। यह रूप तांत्रिकों और वाम मार्ग (बाईं राह) का अनुसरण करने वाले साधकों के बीच अत्यधिक प्रिय है। साथ ही, यह कुछ श्रीविद्या उपासकों या श्रीविद्या मार्ग का अनुसरण करने वाले भक्तों के बीच भी विशेष रूप से लोकप्रिय है, जो देवी माँ ललिता की भक्ति और उपासना करते हैं। उच्छिष्ट अर्थात संसार के नष्ट हो जाने के उपरांत भी रहने वाला तथा कवच अर्थात शरीर के रक्षा के लिए पहना जाने वाला आवरण। संसार के नष्ट हो जाने पर भी विद्यमान रहने वाले ऐसे श्री गणेश को प्रणाम करते हुए सम्पूर्ण सुरक्षा के लिए श्री उच्छिष्ट गणेश कवच का पाठ करें:
Kavacha

Shri Kamalapati Ashtakam (श्री कमलापति अष्टकम् )

श्री कमलापति अष्टकम भगवान विष्णु के प्रसिद्ध अष्टकमों में से एक है । कमलापत्य अष्टकम् भगवान विष्णु की स्तुति में रचित और गाया गया है। यह एक प्रार्थना है जो विष्णु को समर्पित है। विष्णु हमें सच्चा मार्ग दिखाते हैं और उस माया को दूर करते हैं जिसमें हम जीते हैं। यह अष्टकम स्तोत्र है, जिसे यदि पूर्ण भक्ति के साथ पढ़ा जाए तो यह मोक्ष या अंतिम मुक्ति के मार्ग पर ले जाता है। कमलापत्य अष्टकम् भगवान विष्णु को समर्पित है। इसे स्वामी ब्रह्मानंद द्वारा रचा गया है।
Ashtakam