Sankashti Chaturthi (संकष्टी चतुर्थी) Date:- 2024-11-18

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कोसोमवार, 18 नवंबर 2024 (Ganadhipa Sankashti Chaturthi on Monday, November 18, 2024) संकष्टी के दिन Moonrise- 07:10 PM चतुर्थी तिथि प्रारम्भ -18 नवंबर, 2024 को शाम 06:55 बजे चतुर्थी तिथि समाप्त -19 नवंबर, 2024 को 05:28 PMसंकष्टी चतुर्थी कब और कैसे मनाई जाती है? संकष्टी चतुर्थी हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है और इसे करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं। संकष्टी चतुर्थी का पौराणिक महत्व क्या है? संकष्टी चतुर्थी का पौराणिक महत्व भगवान गणेश से जुड़ा है। यह माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। संकष्टी चतुर्थी व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी कष्टों का निवारण होता है। संकष्टी चतुर्थी की तैयारी कैसे होती है? संकष्टी चतुर्थी की तैयारी में लोग अपने घरों को साफ-सुथरा रखते हैं और विशेष पूजा सामग्री का प्रबंध करते हैं। पूजा की थाली में तिल, जल, पुष्प, धूप, दीपक, और भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र शामिल होते हैं। इस दिन लोग ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके व्रत का संकल्प लेते हैं। संकष्टी चतुर्थी का उत्सव कैसे मनाया जाता है? संकष्टी चतुर्थी के दिन लोग उपवास रखते हैं और भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस दौरान गणेश मंत्रों का जाप किया जाता है और गणेश चालीसा का पाठ किया जाता है। शाम को दीपदान किया जाता है और भगवान गणेश को भोग लगाया जाता है। व्रतधारी रात को जागरण करते हैं और भगवान का स्मरण करते हैं। संकष्टी चतुर्थी का समग्र महत्व क्या है? संकष्टी चतुर्थी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है।

Recommendations

Arti Ki Vidhi (आरती की विधि)

देवी देवता की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। पूजा के बाद आरती जरूर करना चाहिए। बिना आरती किए पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। ग्रंथों और पुराणों में आरती से जुड़े कई नियम बताए गए हैं कि किस दिशा में दीपक रखें और कैसे करें आरती। "आरती को 'आरात्रिक' अथवा 'नीराजन' के नाम से भी पुकारा गया है। घर और मंदिर में आरती करने की विधि अलग अलग होती है। शंख-ध्वनि और घंटे-घड़ियाल आरती के प्रधान अंग हैं। प्राचीन काल में प्रभु की उपासना कई विधियों द्वारा की जाती रही है। जैसे संध्या वंदन, प्रात: वंदन, प्रार्थना, हवन, ध्यान, भजन, कीर्तन आदि। आरती पूजा के अंत में की जाती है।
Puja-Vidhi

Rudrayamala Tantra Shiva Sahasranama Stotram (रुद्रयामल आधारित शिव सहस्रनाम स्तोत्रम्)

यह स्तोत्र भगवान Shiva के 1000 divine names का उल्लेख करता है, जो उनकी अनंत शक्ति, करुणा और cosmic energy को दर्शाते हैं। रुद्रयामल ग्रंथ में वर्णित यह sacred hymn भक्तों को spiritual awakening, peace और prosperity प्रदान करता है। Lord Shiva को destroyer of negativity और giver of blessings माना गया है। इस स्तोत्र का पाठ जीवन के obstacles दूर कर positivity और divine protection को आकर्षित करता है। शिव जी की यह स्तुति भक्तों के भीतर inner strength और devotion की भावना को गहरा करती है।
Sahasranama-Stotram

Shri Ramdev Chalisa (श्री रामदेव चालीसा)

श्री रामदेव चालीसा एक भक्ति गीत है जो श्री रामदेव पर आधारित है। श्री रामदेव को, बाबा रामदेव, रामदेवजी, रामदेव पीर, और रामशा पीर के नाम से भी जाना जाता है। Ramdev Baba Chalisa benefits भक्तों को spiritual guidance, protection, और positivity प्रदान करती है। Ramdev Baba mantra जैसे "ॐ रामदेवाय नमः" का जाप करना भक्तों की समस्याओं को दूर करता है और मनोकामना पूर्ण करता है।
Chalisa

Bajrang Baan

बजरंग बाण एक शक्तिशाली भक्ति गीत है जो विशेष रूप से हनुमान जी की शक्तियों और उनके द्वारा दी जाने वाली सुरक्षा पर आधारित है। Hanuman mantra for protection के साथ यह गीत भक्तों को जीवन की कठिनाइयों से बचाता है। Bajrang Ban का पाठ करते हुए भक्तों को strength और power का अनुभव होता है, जो उन्हें जीवन के कठिन समय में सहारा देता है।
Chalisa

Shri Rudra Kavacham (श्री रुद्र कवचम्)

Shri Rudra Kavacham भगवान Shiva की शक्ति और कृपा का वर्णन करता है, जो "Destroyer of Evil" और "Supreme God" के रूप में पूजित हैं। यह Kavacham (armor) भक्त को सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा, बुरी शक्तियों और शत्रुओं से रक्षा प्रदान करता है। इस पाठ में महादेव की महिमा का गान करते हुए उनके विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है, जो भक्त को "Protection Mantra" और "Divine Shield" के रूप में सुरक्षा प्रदान करते हैं। Shri Rudra Kavacham का पाठ "Spiritual Armor" और "Evil Protection Prayer" के रूप में भी लोकप्रिय है। यह Kavach व्यक्ति के चारों ओर एक ऊर्जा कवच तैयार करता है, जो उसकी आंतरिक शक्ति को जागृत करता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। भक्त इसे "Shiva's Protective Shield" के रूप में मानते हैं, जो उन्हें जीवन की कठिनाइयों से बचाता है और शुभ फल प्रदान करता है।
Kavacha

Shri Vaidyanath Ashtakam (श्री वैद्यनाथ अष्टकम)

Shri Vaidyanath Ashtakam (श्री वैद्यनाथ अष्टकम) भगवान Shiva के Vaidyanath Jyotirlinga की महिमा का वर्णन करने वाला एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है। यह अष्टकम भगवान शिव के divine healer रूप का गुणगान करता है, क्योंकि Vaidyanath को समस्त रोगों और कष्टों को दूर करने वाला माना जाता है। कहा जाता है कि इस स्तोत्र के नियमित पाठ से good health, mental peace और spiritual upliftment प्राप्त होता है। श्री वैद्यनाथाष्टकम् के साथ-साथ यदि Shiva Aarti का पाठ किया जाए तो Shri Vaidyanath Ashtakam का बहुत लाभ मिलता है, मनोवांछित कामना पूर्ण होती है, और यह अष्टकम शीघ्र ही फल देने लग जाता है। घर में peace, prosperity और harmony बनाए रखने के लिए Shiva Chalisa का पाठ करना चाहिए। साथ ही, प्रतिदिन Shiva Sahasranama का पाठ करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
Ashtakam

Shri Bhavani Ashtakam (श्री भवानी अष्टकम्)

श्री भवानी अष्टकम्: जगतगुरु आदि शंकराचार्य द्वारा रचित श्री भवानी अष्टकम् माँ भगवती के चरणों को समर्पित एक दिव्य और अद्भुत स्तोत्र है। यह स्तोत्र न केवल भक्तिमय है, बल्कि इसे पढ़ने या सुनने से प्रेम और श्रद्धा की अनुभूति होती है।
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Bilva Ashtakam (बिल्वाअष्टकम्)

Shri Shiva Bilvashtakam (बिल्वाअष्टकम्) को Jagad Guru Sri Adi Shankaracharya द्वारा रचित किया गया था। यह एक अत्यंत powerful stotra है जो Lord Shiva को Bilva leaves अर्पित करने की glory और power का वर्णन करता है। Bilva leaves को तीन पत्तियों के समूह में चढ़ाया जाता है और यह कहा जाता है कि इसमें ऐसे features होते हैं जो इसे स्वयं Lord Shiva से जोड़ते हैं। Bilva Patra का Lord Shiva से एक विशेष संबंध है। Shiva को Belpatra अथवा Bilva leaves अत्यंत प्रिय हैं। यदि कोई व्यक्ति pure mind से Lord Shiva की worship करता है और Shivalinga पर Belpatra अर्पित करता है, तो Lord Shiva उसे इच्छित blessings प्रदान करते हैं। अतः Belpatra Lord Shiva की puja का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ingredient माना जाता है। Bilva leaves Wood Apple Tree से उत्पन्न होते हैं। यह trifoliate होते हैं, जो holy TrinityBrahma, Vishnu और Mahesh—का प्रतीक हैं। यह Lord Shiva के three eyes का भी प्रतिनिधित्व करता है। Shiva Purana के अनुसार, Bilva Lord Shiva का symbol माना जाता है। इसकी greatness को deities भी पूरी तरह नहीं समझ सकते। Blessed हैं वे जो Bilva अर्पित करते हैं। Shiva Purana में कहा गया है कि एक Bilva हजार lotus के समान फल देता है। जो भी sacred Bilvashtakam का पाठ Lord Shiva के समीप करता है, वह समस्त sins से मुक्त होकर Shiva Loka को प्राप्त करता है।
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