Govardhan Puja (गोवर्धन पूजा) Date:- 2024-11-02

गोवर्धन पूजा परशनिवार, 2 नवंबर 2024 Govardhan Puja timing गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त- 05:58 AM to 08:12 AM अवधि -02 घंटे 14 मिनट द्युत क्रीड़ा परशनिवार, 2 नवंबर 2024 गोवर्धन पूजा सायंकाला मुहूर्त- 02:54 PM to 05:07 PM अवधि -02 घंटे 14 मिनट प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ -06:16 PM पर नवम्बर 01, 2024 प्रतिपदा तिथि समाप्त -08:21 PM पर नवम्बर 02, 2024 गोवर्धन पूजा कब और कैसे मनाई जाती है? गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। यह दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है और मुख्यतः उत्तर भारत में विशेष रूप से ब्रज क्षेत्र में मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा की थी। इसलिए लोग इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं और अन्नकूट का आयोजन करते हैं। गोवर्धन पूजा का पौराणिक महत्व क्या है? गोवर्धन पूजा का पौराणिक महत्व भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की कथा से जुड़ा है। कथा के अनुसार, इंद्रदेव ने गोकुलवासियों को दंड देने के लिए भारी वर्षा की थी। तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा की थी। इस घटना की स्मृति में लोग गोवर्धन पूजा करते हैं और भगवान कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। गोवर्धन पूजा की तैयारी कैसे होती है? गोवर्धन पूजा की तैयारी में लोग अपने घरों और मंदिरों को सजाते हैं। गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है और उसकी पूजा की जाती है। इस दौरान लोग अन्नकूट का आयोजन करते हैं जिसमें विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं और भगवान को अर्पित किए जाते हैं। गोवर्धन पूजा का उत्सव कैसे मनाया जाता है? गोवर्धन पूजा के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं। इस दौरान विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और अन्नकूट का आयोजन होता है। लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं और भगवान कृष्ण के भजन गाते हैं। गोवर्धन पूजा का समग्र महत्व क्या है? गोवर्धन पूजा केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व भगवान कृष्ण के प्रति श्रद्धा और विश्वास को दर्शाता है और समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है।

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Ganesha Chaturthi Puja Vidhi (गणेश चतुर्थी पूजा विधि)

गणेश चतुर्थी पूजा विधि एक महत्वपूर्ण Hindu Ritual है, जिसमें Lord Ganesha की Traditional Worship की जाती है। इस दिन भक्तगण Ganpati Sthapana कर Vedic Mantras और Sacred Offerings के साथ पूजन करते हैं। Modak Prasad अर्पित करना और Aarti & Bhajans गाना शुभ माना जाता है। Ganesh Puja Vidhi में Milk, Flowers, Durva Grass और Holy Items का प्रयोग किया जाता है। यह पूजा Obstacle Removal, Success & Prosperity के लिए अत्यंत फलदायी होती है। Eco-friendly Ganesha Idol की स्थापना से Spiritual Positivity और Nature Conservation को बढ़ावा मिलता है। अंत में, Visarjan Ceremony के दौरान भक्तजन Ganpati Bappa Morya का जयघोष करते हैं।
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Dashavatara Stuti (दशावतार स्तुति)

Dashavatara Stuti भगवान Vishnu के दस incarnations (avatars) की स्तुति है, जिसमें वे demons और evil forces का नाश कर universe की रक्षा करते हैं। इसमें Matsya (Fish), Kurma (Tortoise), Varaha (Boar), Narasimha (Lion-Man), Vamana (Dwarf), Parashurama, Rama, Krishna, Buddha, और Kalki के गुण गाए जाते हैं। यह holy hymn भक्तों को spiritual power और divine blessings प्रदान करता है। Dashavatara Stotra का पाठ करने से negativity दूर होती है और positive energy बढ़ती है। यह sacred chant भगवान Vishnu की glory का वर्णन करता है और devotion को बढ़ाता है। इस स्तुति का जाप karma, dharma, और moksha प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
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Narayaniyam Dashaka 100 (नारायणीयं दशक 100)

नारायणीयं दशक 100 भगवान विष्णु के अवतारों और उनकी दिव्य लीलाओं का वर्णन करता है। यह अध्याय भक्तों को भगवान के अनंत रूपों और लीलाओं के प्रति श्रद्धा से भर देता है।
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Shri Venkateshwara Vajra Kavacha Stotram (श्री वेंकटेश्वर वज्र कवच स्तोत्रम्)

Shri Venkateshwara Vajra Kavacha Stotram भगवान श्री वेंकटेश्वर की "Divine Protection" और "Supreme Power" का आह्वान करता है, जो "Lord of the Universe" और "Divine Protector" के रूप में पूजित हैं। यह स्तोत्र विशेष रूप से भगवान वेंकटेश्वर की "Invincible Shield" और "Cosmic Energy" को शक्ति प्रदान करता है। Shri Venkateshwara Vajra Kavacha Stotram का पाठ "Spiritual Protection Mantra" और "Divine Shield Prayer" के रूप में किया जाता है। इसके जाप से व्यक्ति को "Inner Peace" और "Mental Strength" प्राप्त होती है। यह स्तोत्र "Blessings of Lord Venkateshwara" और "Victory Prayer" के रूप में प्रभावी है। इसके नियमित पाठ से जीवन में "Positive Energy" का प्रवाह होता है, और व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक सुरक्षा मिलती है। Shri Venkateshwara Vajra Kavacha Stotram को "Divine Protection Prayer" और "Spiritual Awakening Chant" के रूप में पढ़ने से जीवन में समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
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Narayaniyam Dashaka 97 (नारायणीयं दशक 97)

नारायणीयं दशक 97 भगवान विष्णु की लीलाओं और उनकी महिमा का विस्तार से वर्णन करता है। यह अध्याय भक्तों के लिए अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव और ज्ञान की गंगा प्रदान करता है।
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Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 18 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - अष्टादशोऽध्यायः)

श्रीमद्भगवद्गीता का अष्टादशो अध्याय मोक्षसंन्यास योग के नाम से जाना जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण मोक्ष और संन्यास की महिमा की व्याख्या करते हैं।
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Narayaniyam Dashaka 88 (नारायणीयं दशक 88)

नारायणीयं का अठासीवां दशक भगवान विष्णु के अनंत रूपों और उनकी सर्वव्यापकता का वर्णन करता है। इस दशक में भगवान की सर्वव्यापकता और उनके विभिन्न रूपों के माध्यम से उनकी महिमा का गुणगान किया गया है। भक्त भगवान की अनंत कृपा और उनकी दिव्यता का अनुभव करते हैं।
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Narayaniyam Dashaka 43 (नारायणीयं दशक 43)

नारायणीयं दशक 43 भगवान विष्णु की महिमा और उनकी अनंत कृपा का वर्णन करता है। यह अध्याय भगवान विष्णु के दिव्य गुणों और उनकी भक्तों के प्रति अद्वितीय प्रेम का वर्णन करता है।
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