Vishwakarma Puja (विश्वकर्मा पूजा) Date :- 17.09.2024

Vishwakarma Puja (विश्वकर्मा पूजा) Date :- 17.09.2024 विश्वकर्मा दिवस या विश्वकर्मा जयंती या विश्वकर्मा पूजा भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, जिन्हें दुनिया का डिज़ाइनर माना जाता है। उन्होंने द्वारका की पवित्र नगरी बनाई जिस पर कृष्ण का शासन था। भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के लिए कई हथियार भी बनाए। विश्वकर्मा दिवस का महत्व विश्वकर्मा दिवस हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक अनमोल दिन है। जैसा कि पहले बताया गया है, यह दिन भगवान विश्वकर्मा का सम्मान करता है । ऋग्वेद में उनके योगदान की महानता का वर्णन किया गया है। श्रमिक समुदाय इस त्यौहार को मजे से मनाते हैं। वे अपने संबंधित क्षेत्रों में सफलता के लिए भगवान की पूजा करते हैं।विश्वकर्मा पूजा कब और कैसे मनाई जाती है? विश्वकर्मा पूजा हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है। यह दिन मुख्यतः भारत, नेपाल और बांग्लादेश में मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने कार्यस्थल, फैक्ट्रियों और मशीनों की साफ-सफाई करते हैं और भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं, जिन्हें वास्तुकला और निर्माण के देवता माना जाता है। विश्वकर्मा पूजा का पौराणिक महत्व क्या है? विश्वकर्मा पूजा का पौराणिक महत्व भगवान विश्वकर्मा से जुड़ा है। कथा के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा को सभी यंत्रों और वास्तुकला के रचयिता माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से सभी प्रकार की निर्माण और यांत्रिक कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। विश्वकर्मा पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है? विश्वकर्मा पूजा का धार्मिक महत्व भगवान विश्वकर्मा की पूजा और उनके आशीर्वाद से जुड़ा है। इस दिन लोग अपने कार्यस्थलों की सफाई करते हैं और भगवान विश्वकर्मा की विशेष पूजा करते हैं। सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, विश्वकर्मा पूजा एक सामाजिक और सांस्कृतिक पर्व है। यह उत्सव भगवान विश्वकर्मा के प्रति श्रद्धा और विश्वास को दर्शाता है और समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है। विश्वकर्मा पूजा की तैयारी कैसे होती है? विश्वकर्मा पूजा की तैयारी में लोग विशेष पूजा सामग्री का प्रबंध करते हैं। कार्यस्थलों और फैक्ट्रियों को सजाया जाता है और भगवान विश्वकर्मा की मूर्तियों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। लोग इस दिन विशेष पकवान बनाते हैं और उन्हें भगवान विश्वकर्मा को अर्पित करते हैं। विश्वकर्मा पूजा का उत्सव कैसे मनाया जाता है? विश्वकर्मा पूजा के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और अपने कार्यस्थलों की सफाई करते हैं। दिन भर वे भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं और उन्हें विशेष भोग लगाते हैं। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और विश्वकर्मा मंत्र का जाप किया जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में विश्वकर्मा पूजा कैसे मनाई जाती है? भारत के विभिन्न हिस्सों में विश्वकर्मा पूजा को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे विशेष धूमधाम से मनाया जाता है, जबकि दक्षिण भारत में भी इसे उतने ही उत्साह से मनाया जाता है। विश्वकर्मा पूजा का समग्र महत्व क्या है? विश्वकर्मा पूजा केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है। इस प्रकार, विश्वकर्मा पूजा का उत्सव न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में भारतीयों द्वारा बड़े हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हमें अपने जीवन में खुशियों, समृद्धि और शांति की ओर अग्रसर करता है और समाज में एकजुटता और प्रेम का संदेश फैलाता है।

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Shri Ram Kavacham भगवान श्री राम की "Divine Protection" और "Supreme Strength" का आह्वान करता है, जो "Ruler of Dharma" और "Lord of Justice" के रूप में पूजित हैं। यह कवच विशेष रूप से रक्षात्मक शक्तियों और "Victory over Evil" के रूप में प्रभावी है। Shri Ram Kavacha जीवन में हर बाधा और संकट को दूर करने के लिए एक "Divine Shield" का काम करता है। Shri Ram Kavacha का पाठ "Lord Ram Prayer" और "Divine Protection Mantra" के रूप में किया जाता है। इसके नियमित जाप से भक्तों को "Inner Peace" और "Spiritual Strength" प्राप्त होती है। यह स्तोत्र "Victory Prayer" और "Blessings of Lord Ram" के रूप में अत्यधिक प्रभावी है। इसका पाठ करने से जीवन में "Positive Energy" का प्रवाह होता है और व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है। Shri Ram Kavacha को "Divine Protection Chant" और "Blessings for Prosperity" के रूप में पढ़ने से जीवन में समृद्धि और सुख मिलता है। भगवान श्री राम की कृपा से भक्तों को शारीरिक और मानसिक सुरक्षा मिलती है।
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Kali Kavacham (काली कवचम्‌)

Kali Kavach (काली कवच): माँ काली को दस Mahavidyas में प्रथम स्थान प्राप्त है। Maa Kali सभी enemies, diseases और Tantra obstacles को दूर करती हैं। जो व्यक्ति नियमित रूप से Kali Kavach का पाठ करता है, उसके enemies स्वतः ही नष्ट होने लगते हैं, diseases ठीक होने लगते हैं। चाहे enemy कितना भी बड़ा क्यों न हो, वह Tantra-Mantra के सहारे भी उस व्यक्ति का कुछ नहीं बिगाड़ सकता, जो यह Kali Kavach धारण करता है। यह एक अत्यंत powerful Kavach है। यदि किसी व्यक्ति की Kundli में Shani की Sade Sati, Shani की Mahadasha, Shani की Dhaiya है या Shani planet किसी भी प्रकार से harm पहुँचा रहा है, तो Kali Kavach का पाठ करने से वह effect धीरे-धीरे कम होने लगता है। जो लोग इसे नियमित रूप से Puja के समय पढ़ते हैं, उनके family से diseases धीरे-धीरे समाप्त होने लगते हैं। परिवार का environment positive बनने लगता है। Job loss, business problems, debt, wealth loss आदि समस्याएँ दूर हो जाती हैं। Kali Yantra Kavach धारण करने और Kali Kavach का पाठ करने से व्यक्ति सभी enemies से सुरक्षित रहता है। Evil eye और black magic का effect समाप्त हो जाता है। यदि किसी पर hypnosis या Tantra किया गया हो, तो वह भी ineffective हो जाता है। माँ काली सभी तंत्र बाधाओं से रक्षा करती हैं।
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Kali Stuti (काली स्तुति)

Kali Stuti (काली स्तुति):काली स्तुति माँ काली को समर्पित है। माँ काली को माता के सभी रूपों में सबसे शक्तिशाली रूप माना जाता है। नियमित रूप से काली स्तुति का पाठ करने से भय दूर होता है, बुद्धिमत्ता प्राप्त होती है, शत्रुओं का नाश होता है, और सभी प्रकार के कष्ट अपने आप समाप्त हो जाते हैं। माँ काली केवल प्रधान ही नहीं, बल्कि महाविद्याओं में सबसे महत्वपूर्ण हैं। माँ काली महाविद्याओं का प्रतीक हैं। सभी नौ महाविद्याएँ माँ काली से उत्पन्न होती हैं और उनके गुणों व शक्तियों को विभिन्न रूपों में साझा करती हैं। माँ काली विनाश और संहार की प्रतीक हैं। वे अज्ञान को नष्ट करती हैं, संसार के नियमों को बनाए रखती हैं और जो भगवान के ज्ञान की खोज करते हैं, उन्हें आशीर्वाद देकर मुक्त करती हैं। माँ काली देवी दुर्गा के उग्र रूपों में से एक हैं और भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं, जो हिंदू त्रिमूर्ति में संहारक हैं। माँ काली की विशिष्ट छवि में उनकी बाहर निकली हुई जीभ, खोपड़ियों की माला, और घातक हथियार होते हैं, जो दुष्ट और पापी लोगों में भय उत्पन्न करते हैं। हालांकि, माँ काली अपने भक्तों के प्रति अत्यंत दयालु और करुणामयी हैं। वे अपने भक्तों को सभी संकटों से बचाती हैं और उन्हें समृद्धि व सफलता प्रदान करती हैं। काली स्तुति का नियमित पाठ करने से साधक को भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है, आकर्षण शक्ति मिलती है, पाप नष्ट होते हैं, शत्रु समाप्त होते हैं, और साधक के भीतर एक विशेष ऊर्जा उत्पन्न होती है। वेदों में माँ काली को अग्नि देव से जोड़ा गया है। देवी को सात झिलमिलाती अग्नि की जीभों के रूप में वर्णित किया गया है, जिनमें से काली काली और भयानक जीभ थीं। उनका स्वरूप भयावह है: डरावनी आँखें, लाल उभरी हुई जीभ, और चार भुजाएँ – जिनमें से दो में खून से सनी तलवार और राक्षस का कटा हुआ सिर है, और बाकी दो भय निवारण और वरदान देने की मुद्रा में हैं। उनके गले में मानव खोपड़ियों की माला और कमर पर कटी हुई भुजाओं की कमरबंध है। माँ काली की स्तुति उनके भक्तों के लिए अत्यंत प्रिय है।
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Ram Stuti (राम स्तुति)

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Kali Puja Yantra (काली पूजा यंत्र)

काली पूजा यंत्र देवी Kali की पूजा और आराधना के लिए एक पवित्र यंत्र है, जो उनकी divine power और grace प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह यंत्र साधक को mental peace, protection, और freedom from difficulties प्रदान करने में सहायक होता है।
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