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Saraswati Praarthan Ghanapathah (सरस्वती प्रार्थन घनपाठः)
सरस्वती प्रार्थन घनपाठः
(saraswati praarthan ghanapathah)
प्रणो नः प्रप्रणो देवी देवी नः प्रप्रणो देवी । नो देवी देवी नो नो देवी सरस्वती सरस्वती देवी नो नो देवी सरस्वती ॥
देवी सरस्वती सरस्वती देवी देवी सरस्वती वाजेभि वाजेभि सरस्वती देवी देवी सरस्वती देवी सरस्वती वाजेभिः ॥
सरस्वती वाजेभि वाजेभि सरस्वती सरस्वती वाजेभि वाजिनीवती वाहिनीवती वाजेभि सरस्वती सरस्वती वाजेभि वाजिनीवती ॥
वाजेभिर्वाजिनीवती वाजिनीवती वाजेभिर्वाजेभिर्वाजिनीवती । वाजिनीवतीति वाजिनीवती ॥
धीनामवित्र्यवित्री धीनां धीनामवित्र्यवतु वत्ववित्र्य धीनां धीनामवित्र्यवतु । अवित्र्यवत्वव त्ववित्र्यवित्री अवतु । अवत्वित्यवतु ॥
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saraswati vandana (सरवस्ती वदना)
सरस्वती वंदना का हिंदु धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। माँ सरस्वती की वंदना करने से ऐसा माना जाता है कि मुर्ख भी ज्ञानी बन सकते हैं। माँ सरस्वती को हिंदू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक माना गया है। इनकी कृपा पाने के लिए संगीतज्ञ, छात्रों और यहां तक की गूढ़ विषयों में रुचि रखने वालों द्वारा भी इनकी वंदना की जाती है। सरस्वती माँ को शारदा, शतरुपा, वीणावादिनी जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है।Vandana
Saraswati Sahasranama Stotram (सरस्वती सहस्रनाम स्तोत्रम्)
सरस्वती सहस्रनाम स्तोत्रम् (Saraswati Sahasranama Stotram) में मां सरस्वती (Goddess Saraswati) के एक हजार दिव्य नामों (divine names) का वर्णन है। यह स्तोत्र ज्ञान (knowledge), विद्या (education), और संगीत (music) की देवी (goddess of wisdom) को समर्पित है। मां सरस्वती को ब्रह्मा (Brahma) की शक्ति और सृष्टि की अधिष्ठात्री देवी (creator goddess) माना गया है। यह स्तोत्र भक्तों (devotees) को मानसिक शांति (peace of mind), एकाग्रता (focus), और बुद्धि (intelligence) प्रदान करता है। सरस्वती सहस्रनाम स्तोत्रम् का पाठ (chanting) विद्या (learning) और कला (art) में सफलता (success) के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। इसमें मां सरस्वती के करुणामयी (compassionate) और उग्र (fierce) दोनों रूपों का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र उन विद्यार्थियों (students) और साधकों (seekers) के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, जो ज्ञान, प्रतिभा (talent), और रचनात्मकता (creativity) की प्राप्ति करना चाहते हैं। मां सरस्वती अपने भक्तों को अज्ञान (ignorance) से मुक्त करती हैं और जीवन को प्रकाशित (enlighten) करती हैं।Sahasranama-Stotram
Shri Saraswati Ashtakam (श्री सरस्वती अष्टकम्)
महामते महाप्रज्ञ सर्वशास्त्रविशारदा सरस्वती माता का लोकप्रिय अष्टकम है। इस अष्टकम का पाठ देवी सरस्वती से संबंधित विभिन्न अवसरों पर किया जाता है। सरस्वती अष्टकम के साथ-साथ यदि सरस्वती चालीसा का भी पाठ किया जाए तो, सरस्वती अष्टकम का बहुत लाभ मिलता है यह अष्टकम शीघ्र ही फल देने लग जाती है, अगर साधक सरस्वती माता की मूर्ति सामने रखकर सरवती आरती करता है और साथ ही सरस्वती माला से जाप करता है तो मनोवांछित कामना पूर्ण होती है| यदि सरस्वती अष्टकम के साथ सरस्वती सहस्रनाम का पाठ किया जाए तो स्वयं ही कार्य पूर्ण होने लगते है|Ashtakam
Shri Shardha Chalisa (श्री शारधा चालीसा)
श्री शारदा चालीसा देवी माँ शारदा को समर्पित एक पवित्र प्रार्थना है। इसका पाठ मानसिक शांति, आध्यात्मिक प्रगति, और संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है। Saraswati, जिन्हें Goddess of Knowledge कहा जाता है, का यह स्तोत्र भक्तों को बुद्धि और समृद्धि प्रदान करता है।Chalisa
Shri Saraswati Stotra (श्रीसरस्वतीस्तोत्रम्)
सरस्वती को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के कई तरीके हैं। सरस्वती हिंदू धर्म की ज्ञान, संगीत, कला, बुद्धि और प्रकृति की देवी हैं। वह सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती की त्रिमूर्ति का हिस्सा हैं। ये तीनों रूप ब्रह्मा, विष्णु और शिव की त्रिमूर्ति की सृष्टि, पालन और विनाश की प्रक्रिया में सहायता करती हैं। देवी सरस्वती को पश्चिम और मध्य भारत के जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा भी पूजनीय माना जाता है।Stotra
Shri Saraswati Dawadash Naam Mantra (श्री सरस्वती दादश नाम मंत्र)
मां सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति के मन और मस्तिष्क में बुद्धि का संचरण होता है। ऐसा कहा जाता है कि जहां मां सरस्वती विराजमान रहती हैं, उस जगह मां लक्ष्मी अवश्य वास करती हैं। दैविक काल में सर्वप्रथम भगवान श्रीकृष्ण जी ने मां शारदे की पूजा आराधना की थी। इन्हें संगीत की देवी भी कहा जाता है। हिंदी पंचांग के अनुसार, माघ महीने में वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा मनाई जाती है। इस दिन मां शारदे का आह्वान किया जाता है। खासकर विद्यार्थी सरस्वती पूजा को उत्सव की तरह मनाते हैं। बंगाल और बिहार समेत देश के कई राज्यों में सरस्वती पूजा धूमधाम से मनाई जाती है। विद्यार्थी वर्ग को प्रतिदिन विद्या प्राप्ति के लिए इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।Mantra
Shri Saraswati Stotram (श्री सरस्वती स्तोत्रम्)
श्री सरस्वती स्तोत्र: सरस्वती माता को प्रसन्न करने और उनसे हमारे व हमारे परिवार के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने के कई तरीके हैं। सरस्वती हिंदू धर्म की देवी हैं, जो ज्ञान, संगीत, कला, बुद्धि और प्रकृति का प्रतीक हैं। वह सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती की त्रिमूर्ति का हिस्सा हैं। ये तीनों स्वरूप ब्रह्मा, विष्णु और शिव की त्रिमूर्ति को सृष्टि की रचना, पालन और विनाश में सहायता करते हैं। सरस्वती माता को पश्चिम और मध्य भारत के जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा भी श्रद्धापूर्वक पूजा जाता है।Devi-Stotra
Shri Saraswati Arti (श्री सरस्वती आरती)
श्री सरस्वती जी की आरती माँ Saraswati की स्तुति में गाई जाने वाली एक पवित्र भक्ति गीत है, जिसमें उनकी wisdom, knowledge, music, और arts में अद्वितीय शक्तियों का वर्णन किया गया है। यह आरती भक्तों को intellect, spiritual growth, और cultural prosperity की प्राप्ति की प्रेरणा देती है। माँ Saraswati, जिन्हें Vidya Dayini और Veena Vadini के नाम से भी जाना जाता है, उनकी आरती से भक्त divine blessings और creative energy प्राप्त करते हैं।Arti