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Saraswati Praarthan Ghanapathah (सरस्वती प्रार्थन घनपाठः)
सरस्वती प्रार्थन घनपाठः
(saraswati praarthan ghanapathah)
प्रणो नः प्रप्रणो देवी देवी नः प्रप्रणो देवी । नो देवी देवी नो नो देवी सरस्वती सरस्वती देवी नो नो देवी सरस्वती ॥
देवी सरस्वती सरस्वती देवी देवी सरस्वती वाजेभि वाजेभि सरस्वती देवी देवी सरस्वती देवी सरस्वती वाजेभिः ॥
सरस्वती वाजेभि वाजेभि सरस्वती सरस्वती वाजेभि वाजिनीवती वाहिनीवती वाजेभि सरस्वती सरस्वती वाजेभि वाजिनीवती ॥
वाजेभिर्वाजिनीवती वाजिनीवती वाजेभिर्वाजेभिर्वाजिनीवती । वाजिनीवतीति वाजिनीवती ॥
धीनामवित्र्यवित्री धीनां धीनामवित्र्यवतु वत्ववित्र्य धीनां धीनामवित्र्यवतु । अवित्र्यवत्वव त्ववित्र्यवित्री अवतु । अवत्वित्यवतु ॥
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Shri Saraswati Dawadash Naam Mantra (श्री सरस्वती दादश नाम मंत्र)
मां सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति के मन और मस्तिष्क में बुद्धि का संचरण होता है। ऐसा कहा जाता है कि जहां मां सरस्वती विराजमान रहती हैं, उस जगह मां लक्ष्मी अवश्य वास करती हैं। दैविक काल में सर्वप्रथम भगवान श्रीकृष्ण जी ने मां शारदे की पूजा आराधना की थी। इन्हें संगीत की देवी भी कहा जाता है। हिंदी पंचांग के अनुसार, माघ महीने में वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा मनाई जाती है। इस दिन मां शारदे का आह्वान किया जाता है। खासकर विद्यार्थी सरस्वती पूजा को उत्सव की तरह मनाते हैं। बंगाल और बिहार समेत देश के कई राज्यों में सरस्वती पूजा धूमधाम से मनाई जाती है। विद्यार्थी वर्ग को प्रतिदिन विद्या प्राप्ति के लिए इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।Mantra
Shri Saraswati Arti (श्री सरस्वती आरती)
श्री सरस्वती जी की आरती माँ Saraswati की स्तुति में गाई जाने वाली एक पवित्र भक्ति गीत है, जिसमें उनकी wisdom, knowledge, music, और arts में अद्वितीय शक्तियों का वर्णन किया गया है। यह आरती भक्तों को intellect, spiritual growth, और cultural prosperity की प्राप्ति की प्रेरणा देती है। माँ Saraswati, जिन्हें Vidya Dayini और Veena Vadini के नाम से भी जाना जाता है, उनकी आरती से भक्त divine blessings और creative energy प्राप्त करते हैं।Arti
Shri Saraswati Ashtakam (श्री सरस्वती अष्टकम्)
महामते महाप्रज्ञ सर्वशास्त्रविशारदा सरस्वती माता का लोकप्रिय अष्टकम है। इस अष्टकम का पाठ देवी सरस्वती से संबंधित विभिन्न अवसरों पर किया जाता है। सरस्वती अष्टकम के साथ-साथ यदि सरस्वती चालीसा का भी पाठ किया जाए तो, सरस्वती अष्टकम का बहुत लाभ मिलता है यह अष्टकम शीघ्र ही फल देने लग जाती है, अगर साधक सरस्वती माता की मूर्ति सामने रखकर सरवती आरती करता है और साथ ही सरस्वती माला से जाप करता है तो मनोवांछित कामना पूर्ण होती है| यदि सरस्वती अष्टकम के साथ सरस्वती सहस्रनाम का पाठ किया जाए तो स्वयं ही कार्य पूर्ण होने लगते है|Ashtakam
Saraswati Sahasranama Stotram (सरस्वती सहस्रनाम स्तोत्रम्)
सरस्वती सहस्रनाम स्तोत्रम् (Saraswati Sahasranama Stotram) में मां सरस्वती (Goddess Saraswati) के एक हजार दिव्य नामों (divine names) का वर्णन है। यह स्तोत्र ज्ञान (knowledge), विद्या (education), और संगीत (music) की देवी (goddess of wisdom) को समर्पित है। मां सरस्वती को ब्रह्मा (Brahma) की शक्ति और सृष्टि की अधिष्ठात्री देवी (creator goddess) माना गया है। यह स्तोत्र भक्तों (devotees) को मानसिक शांति (peace of mind), एकाग्रता (focus), और बुद्धि (intelligence) प्रदान करता है। सरस्वती सहस्रनाम स्तोत्रम् का पाठ (chanting) विद्या (learning) और कला (art) में सफलता (success) के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। इसमें मां सरस्वती के करुणामयी (compassionate) और उग्र (fierce) दोनों रूपों का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र उन विद्यार्थियों (students) और साधकों (seekers) के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, जो ज्ञान, प्रतिभा (talent), और रचनात्मकता (creativity) की प्राप्ति करना चाहते हैं। मां सरस्वती अपने भक्तों को अज्ञान (ignorance) से मुक्त करती हैं और जीवन को प्रकाशित (enlighten) करती हैं।Sahasranama-Stotram
Maha Saraswati Stavam (महा सरस्वती स्तवम्)
महा सरस्वती स्तवम् (Maha Saraswati Stavam) अश्वतर उवाच । जगद्धात्रीमहं देवीमारिराधयिषुः शुभाम् । स्तोष्ये प्रणम्य शिरसा ब्रह्मयोनिं सरस्वतीम् ॥ 1 ॥ सदसद्देवि यत्किञ्चिन्मोक्षवच्चार्थवत्पदम् । तत्सर्वं त्वय्यसंयोगं योगवद्देवि संस्थितम् ॥ 2 ॥ त्वमक्षरं परं देवि यत्र सर्वं प्रतिष्ठितम् । अक्षरं परमं देवि संस्थितं परमाणुवत् ॥ 3 ॥ अक्षरं परमं ब्रह्म विश्वञ्चैतत्क्षरात्मकम् । दारुण्यवस्थितो वह्निर्भौमाश्च परमाणवः ॥ 4 ॥ तथा त्वयि स्थितं ब्रह्म जगच्चेदमशेषतः । ओङ्काराक्षरसंस्थानं यत्तु देवि स्थिरास्थिरम् ॥ 5 ॥ तत्र मात्रात्रयं सर्वमस्ति यद्देवि नास्ति च । त्रयो लोकास्त्रयो वेदास्त्रैविद्यं पावकत्रयम् ॥ 6 ॥ त्रीणि ज्योतींषि वर्णाश्च त्रयो धर्मागमास्तथा । त्रयो गुणास्त्रयः शब्दस्त्रयो वेदास्तथाश्रमाः ॥ 7 ॥ त्रयः कालास्तथावस्थाः पितरोऽहर्निशादयः । एतन्मात्रात्रयं देवि तव रूपं सरस्वति ॥ 8 ॥ विभिन्नदर्शिनामाद्या ब्रह्मणो हि सनातनाः । सोमसंस्था हविः संस्थाः पाकसंस्थाश्च सप्त याः ॥ 9 ॥ तास्त्वदुच्चारणाद्देवि क्रियन्ते ब्रह्मवादिभिः । अनिर्देश्यं तथा चान्यदर्धमात्रान्वितं परम् ॥ 10 ॥ अविकार्यक्षयं दिव्यं परिणामविवर्जितम् । तवैतत्परमं रूपं यन्न शक्यं मयोदितुम् ॥ 11 ॥ न चास्येन च तज्जिह्वा ताम्रोष्ठादिभिरुच्यते । इन्द्रोऽपि वसवो ब्रह्मा चन्द्रार्कौ ज्योतिरेव च ॥ 12 ॥ विश्वावासं विश्वरूपं विश्वेशं परमेश्वरम् । साङ्ख्यवेदान्तवादोक्तं बहुशाखास्थिरीकृतम् ॥ 13 ॥ अनादिमध्यनिधनं सदसन्न सदेव यत् । एकन्त्वनेकं नाप्येकं भवभेदसमाश्रितम् ॥ 14 ॥ अनाख्यं षड्गुणाख्यञ्च वर्गाख्यं त्रिगुणाश्रयम् । नानाशक्तिमतामेकं शक्तिवैभविकं परम् ॥ 15 ॥ सुखासुखं महासौख्यरूपं त्वयि विभाव्यते । एवं देवि त्वया व्याप्तं सकलं निष्कलञ्च यत् । अद्वैतावस्थितं ब्रह्म यच्च द्वैते व्यवस्थितम् ॥ 16 ॥ येऽर्था नित्या ये विनश्यन्ति चान्ये ये वा स्थूला ये च सूक्ष्मातिसूक्ष्माः । ये वा भूमौ येऽन्तरीक्षेऽन्यतो वा तेषां तेषां त्वत्त एवोपलब्धिः ॥ 17 ॥ यच्चामूर्तं यच्च मूर्तं समस्तं यद्वा भूतेष्वेकमेकञ्च किञ्चित् । यद्दिव्यस्ति क्ष्मातले खेऽन्यतो वा त्वत्सम्बन्धं त्वत्स्वरैर्व्यञ्जनैश्च ॥ 18 ॥ इति श्रीमार्कण्डेयपुराणे त्रयोविंशोऽध्याये अश्वतर प्रोक्त महासरस्वती स्तवम् ।MahaMantra
saraswati vandana (सरवस्ती वदना)
सरस्वती वंदना का हिंदु धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। माँ सरस्वती की वंदना करने से ऐसा माना जाता है कि मुर्ख भी ज्ञानी बन सकते हैं। माँ सरस्वती को हिंदू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक माना गया है। इनकी कृपा पाने के लिए संगीतज्ञ, छात्रों और यहां तक की गूढ़ विषयों में रुचि रखने वालों द्वारा भी इनकी वंदना की जाती है। सरस्वती माँ को शारदा, शतरुपा, वीणावादिनी जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है।Vandana
Shri Shardha Chalisa (श्री शारधा चालीसा)
श्री शारदा चालीसा देवी माँ शारदा को समर्पित एक पवित्र प्रार्थना है। इसका पाठ मानसिक शांति, आध्यात्मिक प्रगति, और संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है। Saraswati, जिन्हें Goddess of Knowledge कहा जाता है, का यह स्तोत्र भक्तों को बुद्धि और समृद्धि प्रदान करता है।Chalisa
Shri Saraswati Chalisa (श्री सरस्वती चालीसा)
सरस्वती चालीसा माँ सरस्वती को समर्पित है। माँ सरस्वती को Goddess of Knowledge, Veena Vadini, और Vagdevi कहा जाता है। Saraswati mantra for students जैसे "ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः" का जाप सरस्वती चालीसा के साथ करने से विद्या और बुद्धि का विकास होता है।Chalisa