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Shree Narmadashtakam || श्री नर्मदाष्टकम ! Narmada Stuti : नर्मदा स्तुति !! नर्मदा महामंत्र !! नर्मदा स्तुति से करें देवी को प्रसन्न
Narmada Stuti (नर्मदा स्तुति)
नर्मदा स्तुति माँ Narmada river की महिमा का गुणगान करती है, जो nature goddess के समान पूजनीय मानी जाती हैं। Hindu culture में, इसे Ganga और Yamuna जैसी sacred rivers की तरह revered किया गया है। यह स्तुति salvation प्राप्त करने, sins का नाश करने और peace व prosperity लाने का माध्यम है। माँ नर्मदा की पूजा divine energy और environmental protection की प्रेरणा देती है। उनकी महिमा से जीवन में positivity और blessings का संचार होता है।नर्मदा स्तुति (Narmada Stuti)
व्यास उवाच
जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे।
जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवनरात्र्त्तिहरे ॥ १ ॥
जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे ।
जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकरक्तविशोषकरे ॥ २ ॥
जय महिषविमर्दिनि शूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे।
जय देवि पितामहरामनते जय भास्करशक्रशिरोऽवनते ॥ ३ ॥
जय षण्मुखसायुधईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते।
जय दुःखदरिद्रविनाशकरे जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे ॥ ४॥
जय देवि समस्तशरीरधरे जय नाकविदर्शिनि दुःखहरे।
जय व्याधिविनाशिनि मोक्षकरे जय वाञ्छितदायिनि सिद्धिवरे ॥ ५ ॥
एतद् व्यासकृतं स्तोत्रं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
गृहे वा शुद्धभावेन कामक्रोधविवर्जितः ॥ ६ ॥
तस्य व्यासो भवेत्प्रीतः प्रीतश्च वृषवाहनः ।
प्रीता स्यान्नर्मदा देवी सर्वपापक्षयङ्करी ॥ ७ ॥
न ते यान्ति यमालोकं यैः स्तुता भुवि नर्मदा ॥ ८॥
॥ इति श्रीस्कन्दमहापुराणे रेवाखण्डे व्यासकृता नर्मदास्तुतिः सम्पूर्णा ॥