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Ratri Suktam || रात्रि सूक्तम : Full Lyrics; रात को सोने से पहले सुने : निद्रानाश पर प्रभावी स्तोत्र
Ratri Suktam (रात्रि सूक्तम)
रात्रि सूक्तम् देवी दुर्गा (Goddess Durga) का एक प्रसिद्ध स्तोत्र है और यह देवी की स्तुति करता है। रात्रि सूक्तम् वास्तव में नारायण (Narayan) और हर साधक (Sadhak) में स्थित गुप्त ऊर्जा (latent energy) की प्रशंसा है। इस सूक्त का उपयोग उस ऊर्जा को जागृत करने और मानसिक शक्ति (mind powers) को बढ़ाने के लिए किया जाता है। रात्रि सूक्तम् नींद संबंधी विकारों (sleep disorders) से पीड़ित लोगों द्वारा भी उपयोग किया जाता है। इसका नियमित पाठ (regular recitation) मन को जल्दी सोने के लिए तैयार करता है और शरीर में ऊर्जा (energy level) को संतुलित करता है। इसे सोने से पहले 2-3 बार पढ़ने की सलाह दी जाती है। रात्रि सूक्तम् ऋग्वेद (Rig Veda) से लिया गया है। ऋग्वेद चारों वेदों में प्रमुख स्थान रखता है और यह संभवतः सभी मानव जाति के लिए देवी काली (Divine Mother Kali) को समर्पित सबसे प्राचीन प्रार्थना है। रात्रि सूक्तम् देवी से अज्ञान (ignorance) और आंतरिक शत्रुओं (inner nocturnal enemies) जैसे अनिद्रा (sleeplessness) और वासनाओं (lust) को दूर करने की प्रार्थना करता है। ऋग्वेद संहिता में रात्रि और तंत्र में वर्णित देवी महात्म्य का सर्वोच्च ब्रह्म (Supreme Absolute Brahman) एक ही है। यह संस्कृत में लिखा गया सूक्तम् (Sanskrit hymn) है। सप्तशती पाठ (SaptaShati Patha) के दौरान रात्रि सूक्तम् और उसके बाद अगरला स्तोत्र (Agarla Stotra) व कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotra) का पाठ किया जाता है। रात्रि सूक्तम् देवी मां की शक्तियों और उनके भक्तों के लिए उनकी कृपा का वर्णन करता है। यह दर्शाता है कि देवी मां हमें वह सबकुछ देने में सक्षम हैं जिसकी हम कामना करते हैं। ऋग्वेद के इस स्तोत्र में रात्रि का अर्थ ‘देने वाली’ (giver) से लिया गया है, जो आनंद (bliss), शांति (peace) और सुख (happiness) प्रदान करती है। वैदिक सूक्त दो प्रकार की रातों का उल्लेख करता है - एक जो नश्वर प्राणियों के लिए होती है और दूसरी जो दिव्य प्राणियों के लिए होती है। पहली रात में अस्थायी गतिविधियां रुक जाती हैं, जबकि दूसरी रात में दिव्यता की गतिविधियां भी स्थिर हो जाती हैं। "काल" (Kala) का अर्थ समय (time) है, और यह पूर्ण रात्रि विनाश की रात्रि है। मां काली (Mother Kali) का नाम इसी शब्द से लिया गया है।Ratri Suktam (रात्रि सूक्तम)
[ ऋग्वेदके दशम मण्डलका १ २७वाँ सूक्त रात्रियूक्त कहलाता है, इसमें आठ ऋचाएं पठित हैं; जिनमें रात्रिदेवीकी महिमाका यान किया गया है। इस सूक्तमें नताया गया है कि रात्रिदेवी जयत्के समस्त जीवोंके शुभाशुभ कर्मोकी साक्षी हैं ओर तदनुरूप फल प्रदान करती हैं। ये सर्वत्र व्याप्त हैं और अपनी ज्ञानमयी ज्योतिसे जीवोंके अज्ञानान्धकारका नाश कर देती हैं करुणाययी रात्रिदेवीके अंकमें सुषुप्तावस्थामें समस्त जीवनिकाय सुखपूर्वक सोया रहता है । यहाँ यहसूक्त मन्त्रके भावानुकादसहित प्रसृत है- ]
ॐ रात्री व्यख्यदायती पुरुत्रा देव्यश्चधिः।
विश्वा अधि श्रियोऽधित ॥ ९॥
ओर्वप्रा अमर्त्यानिवतो देव्युद्बतः ।
ज्योतिषा बाधते तमः॥ २॥
निरु स्वसारमस्कृतोषसं देव्यायती । अपेदु हासते तमः॥ ३॥
सा नो अद्य यस्या वयं नि ते यामननविश्ष्महि।
वृक्षे न वसतिं वयः ॥ ४॥
नि ग्रामासो अविक्षत नि पद्वन्तो नि पक्षिण:।
नि श्येनासषश्चिदधिनः ॥ ५॥
यावया वृक्यं वृकं यवय स्तेनमूर्म्ये।
अथा नः सुतरा भव ॥ ६॥
उप मा पेपिशत्तमः कृष्णं व्यक्तमस्थित।
उष ऋणेव यातय ।॥ ७॥
उप ते गा इवाकरं वृणीष्व दुहितर्दिवः।
रात्रि स्तोमं न जिग्युषे ॥ ८ ॥